International Research Journal of Commerce , Arts and Science
( Online- ISSN 2319 - 9202 ) New DOI : 10.32804/CASIRJ
**Need Help in Content editing, Data Analysis.
Adv For Editing Content
हिन्दी कहानी में विभाजन का सच
1 Author(s): RASHMI REKHA
Vol - 1, Issue- 1 , Page(s) : 360 - 363 (2010 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ
स्वतंत्र भारत में उभरते समस्त मूल्य संक्रमण के मूल में राजनैतिक शक्तियाँ एवं प्रजातांत्रिक व्यवस्था दोनों ही समान रूप से उत्तरदायी थी। परियोजनाओं के केन्द्र में विद्यमान राजनीति की दलगत चेतना एव स्वार्थ-प्रधान नीतियों ने समस्त देष की प्रगति को असंतुलित कर दिया। स्वतंत्रता संग्राम में कंधे से कंधा मिलाकर आजादी की लड़ाई लड़नेवाला वर्ग स्वतंत्रता मिलते ही सत्ता हथियाने के लिए लालायित हो गया। उसके समस्त मूल्य, समस्त लक्ष्य राजनीति के दाव-पेंचो में लुप्त होते गये। इससे राष्ट्रीय आन्दोलन की एकता छिन्न-भिन्न हो गयी, यहाँ तक कि हर पार्टी के अन्दर सत्ता या नेतृत्व पाने के लिए व्यक्ति केन्द्रित दलबदियाँ शुरू हुई, जिससे उनकी ईमानदारी में लोगों का विष्वास डिग गया।