International Research Journal of Commerce , Arts and Science
( Online- ISSN 2319 - 9202 ) New DOI : 10.32804/CASIRJ
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चार्वाक दर्शन : एक संक्षिप्त सर्वेक्षण
1 Author(s): SUJIT KUMAR
Vol - 4, Issue- 1 , Page(s) : 481 - 485 (2013 ) DOI : https://doi.org/10.32804/CASIRJ
वैदिक युग से लेकर आज तक की भारतीय आचार संहिता का अवलोकन करने पर हम पाते हैं कि सुखवादियों और प्रत्ययवादियों, दोनों परम्पराओं में अद्भुत जीवन-दर्षन का क्रांतिकारी प्रतिपादन हुआ है। यहॉ सर्वप्रथम यह स्पश्ट कर देना आवष्यक है कि सुखवादियों में चार्वाक दर्षन लोकायत दर्षन के नाम से भी जाना जाता है। भारतीय दर्षन के इतिहास का अवलोकन करने पर यह भी पता चलता है कि लोकायतियों या सुखवादियों की तुलना में प्रत्ययवादियों का साहित्य ज्यादा समृद्ध है। ऐसा इसलिए कि लोकायत दर्षन की सुखवादी भारतीय परम्परा को प्रत्ययवादियों के सुनियोजित विरोध का सामना करना पड़ा है।